श्री राधारमणो विजयते
एक गुरु होता है विहित गुरु। स्कंद पुराण कहता है विहित गुरु वह है जो पास में सच में जो वैष्णव है उसे भेज देते हैं। आप जब भजन करते हो तो गुरुदेव के कई कार्यो में आप उनके आसपास उनके जो भजनानंदी वैष्णव हैं उनकी सलाह सुनकर, जो पुराने वरिष्ठ हैं उनकी बात सुनकर आप अपने भजन में लग जाते हैं।
जो हमारी यात्रा में हमारे साथ भी चल रहे हैं और हमारा उसमें मार्गदर्शन भी कर रहे हैं। कई बार छोटा बच्चा भी कोई सलाह दे जाता है।
हमारे भजन में और स्पष्टता देता है और साफ कर दे। संग चलने वाले भजनानंदी वैष्णव को ही जो एक निष्ठा में लगे, एक रुचि में लगे।
श्रीविद्यानिधि जी के यहाँ गदाधरजी गए तो उनके स्वरूप को नहीं पहचान कर सके। उन्होंने महाप्रभुजी से सलाह नहीं करी। सब संग जो वैष्णव है सब ने श्रीविद्यानिधिजी के स्वरूप को गदाधरजी के हृदय में स्थापित कर दिया।
वह कौन हुए दीक्षा गुरु तो गदाधर पाद के तो विद्यानिधि जी हुए जो सब और मंडली के वैष्णव हैं वो सब उनके विहित गुरु हैं।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
II Shree Radharamanno Vijayatey II
Another Guru is called ‘Vihit-Guru’. The Skanda Purana says that the ‘Vihit-Guru’ blesses us with the company of true Vaishnavas. When you are engaged in Bhajan then you will see many people around Shree Gurudev serving him, hearing them talk and speaking to the elderly Vaishnavas, you try to inculcate those noble traits in your self to improve your Bhajan.
Such people are co-travellers as well as our guide on the spiritual path. Many a times, even a small kid can be instrumental in giving us very valuable insight!
This helps us purify and simplify our Bhajan. The ‘Bhajananandi’ Vaishnavas who are very firmly entrenched in their faith and are travelling with us have a similar mental makeup like us!
Shri Gadadharaji went to meet Shri Vidyanidhiji but could not understand his swaroop. He did not seek any guidance from Shree Mahaprabhuji. The company of the Vaishnavas who were travelling along enabled Gadadharji to ultimately establish Shri Vidyanidhiji’s swaroop in his heart.
Shri Vidyanidhiji became the ‘Deeksha-Guru’ of Shri Gadadharpaad and the Vaishnavas of the group became his ‘Vihit Guru’!
|| Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj ||