समाज से ज़्यादा खतरनाक और कोई नहीं होता है। समाज की हवा भीड़ की हवा जो है वो बड़ी खतरनाक होती है किस तरफ चल दे पता नहीं। भेड़चाल है। ऐसी भेड़चाल है कि अपूज्य को पूज्य बना दे और पूज्यों का व्यतिक्रम कर दे। पूज्यों को नष्ट कर दे और अपूज्यों को सम्राट बना दे। जहाँ से उसका स्वार्थ सिद्ध हो वो वाे कृत्य करती है।
इसलिए यश और अपयश से बच कर रहना चाहिए। जो लोग आज यश दे रहे हैं वो ही कल अपयश दे सकते हैं और जितना यश दे रहे उतना ही अपयश हो सकता है।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
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II SHREE RADHA RAMANNO VIJAYATEY II
No one is more dangerous than the society or the ‘Samaj’. The flow of the crowd is very dangerous, you never know in which direction it will go. It is like a herd of sheep! It is such a tide which can turn a very revered person as a nobody and vice-versa. It can destroy the respected and make an unworthy a king. Wherever or in whatever their selfish-interst is served they will do that.
That is why please be very cautious about fame or insult. The ones who have installed you on a pedestal, the very same people can throw you in the dumps. Today they are praising you to the sky and the very next moment they will defame you!
II Param Aaradhya Poojya Shreemann Madhva Gaudeshwar Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj II
श्री पुण्डरीक जी सूत्र (१-०६-२०२३)
समाजात् अधिकं भयङ्करः कोऽपि नास्ति। समाजस्य वायुः, जनसमूहस्य वायुः, अतीव भयङ्करः अस्ति, न जानन्ति यत् सः कस्याः दिशि गन्तुं शक्नोति। मेषत्वम् अस्ति। तत्र मेषत्वं तादृशं यत् अपूज्यं पूजनीयं कृत्वा पूजकैः सह व्यभिचारं करोति। पूज्यान् नाश्य अपूज्यान् सम्राटान् कुरु | यतः तस्याः स्वार्थः सिद्धः भवति, सा तत् कर्म करोति।
अत एव यशः बदनामी च दूरं तिष्ठेत्। अद्य ये यशः ददति ते श्वः एव अप्रियं दातुं शक्नुवन्ति तथा च यथा यथा अधिकं यशः ददति तथा तथा अधिकं असफलतां जनयितुं शक्नुवन्ति।
परमराध्य: पूज्य: श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज।