भजन करने वाले का आत्मविश्वास बहुत प्रबल होता है। जैसे कोई रस्सी पकड़ के गड्ढे में गिरे तो वो डरता नहीं है। क्योंकि उसके पास पकड़ने की रस्सी है। परमात्मा का भरोसा रख कर आप संसार में गड्ढे में कितना ही कूदिए, आपकी हँसी कोई नहीं छीन सकता। आपकी प्रसन्नता को कोई नहीं चुरा सकता।
बिना कुछ हुए, भिखारी बन कर भी, जोरदार से हँसना केवल संत जानता है। सब कुछ पा करके भी रोना दुनिया जानती है, भिखारी बन कर भी मौज में रहना महात्मा जानता है। क्योंकि उसके पास उस सूक्ष्म ऊर्जा का अनुभव है।
आप अनुभव करके देखिए यह बात किताबों की नहीं कह रहा हूंँ, अनुभव की कह रहा हूंँ।
जीवन में 10 मिनट का समय निकालकर बिल्कुल पवित्रता से, इमानदारी से, संबंध के साथ बड़ी सात्विकता से यहाँ सबसे बड़ा स्वरूप है परमात्मा के साथ आपका निजी संबंध है।
लोग ठाकुर जी का दर्शन करने जाते हैं कोई आया, दर्शन करके कहते हैं- क्या नाम ले? क्या दर्शन करें? इतना धक्का-मुक्की, चोट लगा, माथा फूटा, इतना धक्का पड़ा, हम नहीं आएंगे आज के बाद! थोड़े दिन बाद एक सेलिब्रिटी आ गया 10 बार तो बाउंसर उसको धक्का दिया। उसके बाद भी एक सेल्फी खिंचवाने के लिए मरे जा रहा था। सबको सोशल मीडिया पर दिखाएगा, ही इज माय फ्रेंड! अब धक्के का क्या हुआ?
व्यक्ति का जब महत्व होता है तो इन सब चीजों की वह परवाह नहीं करता। मेले में भी अकेला घूमता है।
सबसे बड़ी बात यह है कि अभी हमें उस चीज का अनुभव नहीं हुआ। उसके आनंद का अनुभव हो जाए। कोई ना पीता हो तो पीने वाला कहता है तू क्या जाने इसका स्वाद; पीके देख फिर क्या होता है। जब एक सामान्य पीने वाला आपको इस तरह का प्रलोभन दे सकता है तो राम नामामृत पीने वाला भी यह प्रलोभन दे सकता है।
इसकी सूक्ष्मता का अनुभव कीजिए और 2 मिनट निकाल कर जीवन में आपके इतनी आत्मशांति का अनुभव होगा। 2 मिनट बैठ कर बिल्कुल शुद्धता से, सात्विकता से, सच्चाई बहुत जरूरी है सच्चाई के साथ 2 मिनट समय निकालकर, अंतःकरण की शुद्धि के साथ, पवित्रता के साथ
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
इससे उस सूक्ष्मता का अनुभव होगा।
बड़े-बड़े अमेरिकन जो इस भौतिकवाद की चरम सीमा पर बैठे हुए हैं वह हमारे शास्त्र का, हमारे ही चीज का स्वयं अवलोकन करके हम लोगों को शर्म आए, पर धोती पहनकर चुटिया धरकर, जनेऊ डालकर वृंदावन में डोलते रहते हैं। कुछ तो अनुभव किया होगा उन सबने भी।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ।।
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|| Shree Radharamanno Vijayatey ||
The self-confidence of the person who does Bhajan is very strong. Like, when an individual goes down a deep pit holding a rope, he doesn’t feel scared because he knows that he is holding the rope. With faith on God, you may jump in this pit of the world and no one can take away your smile! Nobody can snatch your happiness!
Without having anything, only a Saint can laugh even in poverty. The world cries even after getting everything whereas the Mahatma knows how to enjoy with nothing because, he/she has the experience of that Divine Energy!
You experience it yourself; I am not saying something out of the books but am saying it with the conviction of personal experience.
Take out ten minutes with utmost purity, honesty and with a complete sattvic mind try to connect with the Almighty, who is your very own!
People go for Shree ‘Thakurji’s’ darshan and after the darshan one person says, what ‘Naam-Japa’ can we do? What darshan can we do? So much of pushing and shoving was there that I fell down and broke my crown, I am not going to come again! After a few days, he went to see a celebrity, in the crowd he was pushed around at least ten times by the celebrity’s bouncers, yet he kept on trying to go in front to take a selfie so that he can put it on the social media and claim that ‘He is my friend!’ Now what about so much of push and shove?
When one tries to gain importance somehow, then he does not bother about anything. He will go to the fair all alone and wander here and there!
The most important thing is that we have not experienced the Divine Touch yet! Once we should get the taste of that bliss! If you don’t drink and meet a drunkard, he will say that what do you know about its taste? Drink, only then you will know! If an ordinary drunkard can give you this temptation, then why can’t the one who has tasted the ‘Rama-Naam-Amrit’ tempt you?
Kindly experience the subtlety of this Divinity by devoting two minutes for it, you will then know what is real peace or ‘Atama-Shanti’. Just devote two minutes with sanctity, purity and honesty. Here, honesty is very important! Take out two minutes in the entire day and with complete purity and holiness of your heart chant;
Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare |
Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare ||
You will then experience its Divinity! Its subtlety!
So many foreigners who are at the top of their own fields, study our scriptures and analyse our tradition carefully. We feel ashamed but they wear the ‘Dhoti’, keep ‘Choti’ and wearing the sacred thread are roaming in the streets of Vrindavan. I am sure, they must have experienced something at least!
|| Param Aradhya Poojya Shreemann Madhv Gaudeshwara Vaishnavacharya Shree Pundrik Goswamiji Maharaj ||
श्री पुण्डरीक जी सूत्र (०४-०६-२०२३)
उपासकस्य आत्मविश्वासः अतीव प्रबलः भवति। यथा कश्चित् पाशं धारयन् गर्ते पतति चेत् सः न बिभेति । यतः तस्य ग्रहणाय पाशः अस्ति। ईश्वरस्य विश्वासं धारयन् भवन्तः कियत् अपि जगति गर्ते कूर्दन्ति चेदपि भवतः हास्यं कोऽपि हर्तुं न शक्नोति। भवतः सुखं कोऽपि अपहर्तुं न शक्नोति।
केवलं साधुः एव उच्चैः हसितुं जानाति, याचकत्वेन अपि, किमपि न घटितम्। जगत् सर्वं प्राप्य रोदनं जानाति, महात्मा याचकत्वेन अपि सुखं जानाति। यतः तस्य तस्याः सूक्ष्मशक्तेः अनुभवः अस्ति ।
स्वयं प्रयतस्व, अहं पुस्तकानां विषये न वदामि, अनुभवस्य विषये वदामि।
जीवने १० निमेषपर्यन्तं समयं गृहीत्वा, निरपेक्षशुद्धतायाः, ईमानदारीया, सम्बन्धे महता निष्कपटतायाः च सह, अत्र बृहत्तमं रूपं ईश्वरेण सह भवतः व्यक्तिगतसम्बन्धः अस्ति।
जनाः ठाकुर जीं द्रष्टुं गच्छन्ति, कश्चन आगतः, दृष्ट्वा, वदन्ति – किं नाम ग्रहीतव्यम्? किं द्रष्टव्यम् एतावत् धक्काः, आहतः, ललाटः विभक्तः, एतावत् धक्का, अद्य पश्चात् न आगमिष्यामः! कतिपयेभ्यः दिनेभ्यः अनन्तरं एकः प्रसिद्धः व्यक्तिः आगतः तदा बाउन्सरः तं १० वारं धक्कायितवान् । तदनन्तरम् अपि सः सेल्फी क्लिक् कर्तुं म्रियमाणः आसीत् । सामाजिकमाध्यमेषु सर्वेभ्यः दर्शयिष्यति, सः मम मित्रम् अस्ति! अधुना आघातस्य किं जातम् ?
यदा कश्चन व्यक्तिः महत्त्वपूर्णः भवति तदा सः एतानि सर्वाणि विषयाणि चिन्तां न करोति । सः अपि मेलायां एकः एव भ्रमति।
बृहत्तमं वस्तु अस्ति यत् अस्माभिः तत् वस्तु अद्यापि न अनुभवितम्। तस्य आनन्दः अनुभवतु। यदि कश्चित् न पिबति तर्हि पिबकः वदति यत् भवन्तः तस्य रसं न जानन्ति; पीके दृष्ट्वा किं भवति ? यदा सामान्यः पिबकः भवन्तं एतादृशं प्रलोभनं दातुं शक्नोति तदा रामनाममृत् पिबकः अपि एतत् प्रलोभनं दातुं शक्नोति।
तस्य सूक्ष्मतां अनुभवन्तु तथा च २ निमेषान् स्वीकृत्य भवन्तः स्वजीवने एतावता मनःशान्तिं अनुभविष्यन्ति। निरपेक्षशुद्धतायाः, सत्यतायाः, सत्यस्य च सह २ निमेषान् यावत् उपविष्टः अतीव महत्त्वपूर्णः अस्ति, सत्येन सह, हृदयस्य शुद्धतायाः सह, शुद्धतायाः सह २ निमेषान् समयं गृहीत्वा
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
अनेन तस्य सूक्ष्मतायाः अनुभवः भविष्यति ।
अस्य भौतिकवादस्य चरमसीमायां ये बृहत् अमेरिकनः उपविष्टाः सन्ति, ते अस्माकं शास्त्राणि, स्ववस्तूनि अवलोकयितुं लज्जिताः भवेम, परन्तु धोतीं धारयन्तः, चुटिया धारयन्तः, पवित्रसूत्रं धारयन्तः, वृन्दावने चलन्तः एव तिष्ठामः। तेषां सर्वेषां किमपि अनुभवः अभवत् अवश्यम्।
परमराध्य: पूज्य: श्रीमन् माध्व गौडेश्वर वैष्णवाचार्य: श्री पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज।